इनसे मिलिए... ये हैं दक्षिण अफ्रीका में वेलुलम नामक जगह पर ब्रिंदावन हिंदी पाठशाला चलाने वाली कुछ कर्मठ महिलाएँ... सबका अपना अपना काम है... सभी उच्च ओहदों पर आसीन प्रोफ़ेशनल हैं... लेकिन शाम को, सप्ताहांत में अपनी पाठशाला में (मंदिर में, घर पर, गैरेज में) समुदाय के बच्चों को हिंदी पढ़ाती हैं... निःशुल्क... उनको भाषा और संस्कार की शिक्षा देती हैं... परीक्षाएँ लेती हैं...
इननको किसी "पर्यटन सम्मेलन" के प्रमाण पत्र या सम्मान की कोई इच्छा नहीं हैं... प्रोमोशन, पद, ख्याति, टी.ए.डी.ए. गुट कुछ से कोई मतलब नहीं
इनको अपने बच्चों में अपनी भाषा का प्रचार देखना है... हिंदी को विश्व भाषा बनाने वाले ये लोग हैं... प्रणाम Molly Prithipal
साभार : https://www.facebook.com/groups/vishwahindisachivalay/
इननको किसी "पर्यटन सम्मेलन" के प्रमाण पत्र या सम्मान की कोई इच्छा नहीं हैं... प्रोमोशन, पद, ख्याति, टी.ए.डी.ए. गुट कुछ से कोई मतलब नहीं
इनको अपने बच्चों में अपनी भाषा का प्रचार देखना है... हिंदी को विश्व भाषा बनाने वाले ये लोग हैं... प्रणाम Molly Prithipal
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